Tuesday, 21 August 2018

गर्व करना हमारा राष्‍ट्रीय अधिकार है,गर्व से हमारा मस्तक हमेशा ऊंचा उठा हुआ होना चाहिये। गर्व करते करते हम कब गर्वोन्नत हो उठेंगे कहा नहीं जा सकता है. जब कोई हाथी गर्वोन्नत हो जाता है तो सभी कुछ तहस नहस करने पर तुल जाता है,एसे हाथी को पागल- हाथी कहा जाता है. बहुतों की गर्दन गर्व से अकड़ जाती है, उस गर्दन को गर्व से अकड़ाये रखने के लिये गर्दन में पट्टा पहनना पड़ता है ,वह पट्टा क्या कहलाता है….आप अच्छे से समझ गये होंगे,स्पॉन्डिलाइटिस का पट्टा ,यह स्पॉन्डिलाइटिस केवल गले में ही होता है ऐसा नहीं है। यह पूरे दिमाग में चढ़ता है, यह पूरी भीड़ पर चढ़ जाता है. भीड़ बेकाबू हो जाती है,किसी को मारती है तो किसी-किसी को तो पीट-पीट कर मार ही डालती है। यह भीड़ यहीं रुक जाती हो ऐसा नहीं है। एक घटना तो अभी-अभी हुई है,बिहार की एक गर्वोन्नत भीड़ ने एक महिला को मात्र शक के आधार पर ही शहर में नग्न कर घुमाया, विडियो भी बनाया और तो और सोशल साइट्स पर अपलोड भी हुआ. यहाँ एक प्रश्न खड़ा होता है ,वे जो यह कर रहे थे वे कौन थे ? वे जो यह देख रहे थे वे कौन थे ? और..और..वे जो सोशल साइट्स पर वीडिओ अपलोड कर रहे थे वे कौन थे ? और इन पर लाइक्स करने वाले ? वे भी तो हैं ? कहना ना होगा , ये सभी गर्दन की अकड़ के मारे हुए हैं अर्थात स्पॉन्डिलाइटिस, स्पॉन्डिलाइटिस का पट्टा बंधे हुए लोग, ये गर्व से तना मस्तक मेरा. इन्हें खुद भी नग्न होना था, ये समाज के, संस्कार के कपड़े भी उतारने थे, फिर यदि ये नग्न स्त्री का नग्न होकर जुलूस निकालते तो समां ही कुछ और होता, वह एक राष्‍ट्रीय शान का विषय बनता, वीडिओ बनता. फिलहाल गधा हंस रहा है, राष्‍ट्रीय कवि स्व. ओम प्रकाश आदित्य ने बहुत ही उम्दा कविता लिखी थी ” इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैं, जिधर देखता हूँ ,गधे ही गधे हैं.” और राष्ट्रभक्त गधे ने गर्व करने का एक नया ही आयाम खोज रखा है, वह यह कि ” गर्व से कहो हम गधे हैं.”

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