#अब_तो_प्रकट_हो_जाओ !
"यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृज्याम्यहम् ।।"गीता 4/7।
(हे भारतवंशी, जब भी जहाँ भी धर्म (नैतिकता) का पतन होता है और अधर्म (अनैतिकता) की प्रधानता होने लगती है तब तब मैं अवतार (प्रकटीकरण) लेता हूँ)।
"परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ।।"गीता 4/8 !
( जनता-जनार्दन का उद्धार करने, दुष्टों (अनर्थ करने वाले पापी- व्यभिचारी आदि) का विनाश करने तथा नैतिक आचरण की स्थापना के लिए मैं हर युग में प्रकट होता हूँ)
हे दयानिधि कृपालु दयालु भगवन ! तुम्हारे लाखों करोड़ों भक्तजन समय अंतराल से तुम्हारी ही शब्दावली में तन मन तथा अथाह विशवास और भक्तिभाव से गुहार लगा रहे हैं, अनेक पीढियाँ तोतारटंत गुहार लगाते लगाते मर मिट गईं ।बीते समय में मानवीय त्रासदी के प्रतीक के रूप में भक्तजन , अत्याचार ,क्रूर शोषण, लूटपाट,अनैतिकता तथा अकाल मृत्यु का शिकार होते रहे , समय समय पर नैतिक मूल्यों तथा मानवीय संवेदनाओं की धज्जियां उड़ाई गईं पर हे दुख भंजन तुम अपने ही प्रवचन के अनुरूप न तो अवतार के रूप में और न ही मसीहा या फरिश्ता बन कर प्रकट हुए। भक्तजनों की आंखें प्रतीक्षा करते पत्थरा गईं हैं ।निर्मम निर्भया बलात्कार कांड से कठुआ बलात्कार कांड के फलस्वरूप अन्याय अधर्म और अनैतिकता चरमसीमा को भी पार कर गये हैं। कठुआ बलात्कार कांड में तो एक आठ वर्षीय अबोध बालिका को तुम्हारे ही सामने तुम्हारे प्रांगण में क्रूर पशुओं के समान तुम्हारे ही नाम जपने वालों ने तार तार कर दिया ।यह कैसी लीला है तुम्हारी। प्रभु,पूरी मानवता शर्मसार है त्रसित है आहत है अधर्म, क्रूर शोषणकारी व्यवस्था का बोलबाला है, बहुत हो गया, अब प्रकट हो कर दुष्टों का संहार करके आदर्श और नैतिकता की सामाजिक व्यवस्था का श्री गणेश करते हुए अपने प्रवचन के अनुरूप आचार संहिता कठोरता से लागू कर डालो।
"यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृज्याम्यहम् ।।"गीता 4/7।
(हे भारतवंशी, जब भी जहाँ भी धर्म (नैतिकता) का पतन होता है और अधर्म (अनैतिकता) की प्रधानता होने लगती है तब तब मैं अवतार (प्रकटीकरण) लेता हूँ)।
"परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ।।"गीता 4/8 !
( जनता-जनार्दन का उद्धार करने, दुष्टों (अनर्थ करने वाले पापी- व्यभिचारी आदि) का विनाश करने तथा नैतिक आचरण की स्थापना के लिए मैं हर युग में प्रकट होता हूँ)
हे दयानिधि कृपालु दयालु भगवन ! तुम्हारे लाखों करोड़ों भक्तजन समय अंतराल से तुम्हारी ही शब्दावली में तन मन तथा अथाह विशवास और भक्तिभाव से गुहार लगा रहे हैं, अनेक पीढियाँ तोतारटंत गुहार लगाते लगाते मर मिट गईं ।बीते समय में मानवीय त्रासदी के प्रतीक के रूप में भक्तजन , अत्याचार ,क्रूर शोषण, लूटपाट,अनैतिकता तथा अकाल मृत्यु का शिकार होते रहे , समय समय पर नैतिक मूल्यों तथा मानवीय संवेदनाओं की धज्जियां उड़ाई गईं पर हे दुख भंजन तुम अपने ही प्रवचन के अनुरूप न तो अवतार के रूप में और न ही मसीहा या फरिश्ता बन कर प्रकट हुए। भक्तजनों की आंखें प्रतीक्षा करते पत्थरा गईं हैं ।निर्मम निर्भया बलात्कार कांड से कठुआ बलात्कार कांड के फलस्वरूप अन्याय अधर्म और अनैतिकता चरमसीमा को भी पार कर गये हैं। कठुआ बलात्कार कांड में तो एक आठ वर्षीय अबोध बालिका को तुम्हारे ही सामने तुम्हारे प्रांगण में क्रूर पशुओं के समान तुम्हारे ही नाम जपने वालों ने तार तार कर दिया ।यह कैसी लीला है तुम्हारी। प्रभु,पूरी मानवता शर्मसार है त्रसित है आहत है अधर्म, क्रूर शोषणकारी व्यवस्था का बोलबाला है, बहुत हो गया, अब प्रकट हो कर दुष्टों का संहार करके आदर्श और नैतिकता की सामाजिक व्यवस्था का श्री गणेश करते हुए अपने प्रवचन के अनुरूप आचार संहिता कठोरता से लागू कर डालो।
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