पिछले महीने दिल्ली में जब तीन सीवर सफाई कर्मचारियों की मौत सीवर में काम करते हुए दम घुटने से हुई तो सारे देश का ध्यान इन लोगों की तरफ गया लेकिन सिर्फ एक-दो दिन के लिये ही और बाद में ये लोग भुला दिये गये । ये लोग एक दिन के लिये ही अखबारों की सुर्खियों में जगह बना सके लेकिन दूसरे दिन ही गायव हो गये । वैसे तो टीवी मीडिया बेमतलब की बातों को लेकर सारा दिन चिल्लपौं करता रहता है और ये चिल्लाहट यहाँ तक बढ़ जाती है कि लोग तंग आकर चैनल बदलने के लिये मजबूर हो जाते हैं या फिर टीवी ही बन्द कर देते हैं लेकिन इस खबर को टीवी मीडिया ने तीन लोगों की अकस्मात मौत की खबर की तरह दिखा कर जाने दिया । मीडिया ने ये दिखाने की कोशिश नहीं की कि ये लोग प्रशासनिक और सामाजिक लापरवाही के कारण असमय मौत के मुंह में चले गये हैं । सिर्फ एनडीटीवी के रविश कुमार ने अपने प्राईम टाईम कार्यक्रम में दो दिनों तक इन लोगों की समस्या को विस्तार से देश के सामने रखा । ये भी एक विडम्बना ही है कि सिर्फ एक महीने में दिल्ली के अन्दर सीवर कर्मियों की मौत की चार घटनायें हुई और हम तक केवल एक ही घटना की रिपोर्टिंग पहुँच पाई क्योंकि अन्य तीन घटनाओं पर किसी ने ज्यादा ध्यान ही नहीं दिया । ये घटनायें कब हुई किसी को पता भी नहीं चला, वैसे इसमें कोई हैरानी वाली बात है भी नहीं क्योंकि देश में सीवर कर्मियों के सीवर में दम घुटने से होने वाले मौतों की खबर आती ही रहती है और ये रोज कहीं न कहीं होती रहती है, इन पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत कोई नहीं समझता है । मेरा स्पष्ट रूप से मानना है कि किसी लेख या कार्यक्रम द्वारा इन लोगों की समस्या को सम्पूर्ण रूप में समझा नहीं जा सकता है । लेकिन सच यह भी है कि अगर मीडिया इन लोगों की समस्याओं को सरकार तक पहुँचाये तो इन लोगों के साथ हो रही दुर्घटनाओं से सरकार की नींद खुल सके और सरकार इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिये कोई कार्यक्रम लेकर आये ।
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