व्यंग्य मात्र ………इतिहास गवाह है ‘राम’ के बाद यदि कोई “राम राज्य”(अच्छे दिन )का प्रयास कर रहा है तो वोह मोदी जी ही हैं | भगवन ‘राम’ के बाद ‘राम’ का राज्याभिषेक केवल ‘राम’ लीलाओं मैं ही होता रहा है | दलितों के उत्थान के लिए ‘राम’ ही सर्वोत्तम मार्ग ‘राम’ का अभिषेक ही है | अब “राम मंदिर” की स्थापना को तड़पते हिन्दुओं को साक्षात् ‘राम’ ही सत्तारूढ़ हो जायेंगे | अब मंदिर बने या न बने आराध्य स्वयं ही सिंहासनाधीन हो जायेंगे | मंदिर भी क्यों नहीं बनेगा ..? सब सर्वत्र ‘राम’ ही ‘राम’ हैं | किसी युग मैं “राम राज्य” से पहिचाना जाने वाला अब “अच्छे दिन” के नाम से भी जाना जाता है | जब ‘राम’ का ही राज्याभिषेक हो जायेगा तो ‘”राम राज्य” का आभास ही “अच्छे दिनों” मैं बदल में बदल जाएगा।
…क्या विडम्बना रही कि १४वें राष्ट्रपति के लिए एक दलित रूप मैं ‘राम’ को स्वयं आना पड़ा | जिस हिंदुस्तान मैं १०० हिन्दुओं मैं ४० नाम ‘ राम’ नाम को लिए होते हैं वहां अब तक कोई’ ‘राम’ नाम धारी राष्ट्रपति या प्रधान मंत्री नहीं मिल पाया | लगता है मोदी जी ने इस तथ्य को समझा और ‘राम’ के बनवास को ख़त्म कर दिया | उनका प्रयास ‘राम’ का राज्याभिषेक करते ‘राम’ राज्य स्थापित कर देना ही है | ”राम राज बैठे त्रिलोका ,हर्षित भये गए सब शोका ”[ m
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