सूचना प्रसारण मंत्रालय ने जिस तरह से हिंदी न्यूज चैनल NDTV इंडिया पर कार्रवाई करते हुए उसके प्रसारण पर एक दिन की रोक लगाई है, उससे पूरा देश सहम गया है। हर ओर रोष की लहर है। यह कार्रवाई पठानकोट हमले के दौरान उसकी कवरेज को लेकर हुई है क्योंकि मंत्रालय की एक समिति ने उसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना है। पता नहीं सलाह देनेवालों के जेहन में क्या यह एक बार भी विचार नहीं आया कि इसके बाद जो लाख प्रश्न उठेंगे, उसका जवाब कौन देगा? पहला प्रश्न तो यही है कि चलो, माना यह चैनल की गलती थी, लेकिन घटनास्थल तक पत्रकारों-कैमरों को जाने की इजाजत किसने दी? अगर यह चित्रण इतना संवेदनशील था तो उसे इतने घंटों, पहर और दिनों तक रोका क्यों नहीं गया?
यह गफलत करनेवाले दोषी सैन्य अधिकारियों और पुलिस के खिलाफ इस मामले में क्या कार्रवाई हुई? क्या उन्हें भी कोई दंड दिया जाएगा! अगर वह चित्रण गलत था तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम और प्रतिबंधित आतंकवादियों को सक्रिय मदद करनेवाले ISI के अधिकारियों को पठानकोट में क्यों आने दिया गया था? SP सलविंदर सिंह की इस पूरे मामले में भूमिका, संदेहास्पद कदम और सत्तारूढ़ अकाली मंत्रियों को बचाने के लिए हुई गोल-मोल ‘जांच’ का कौन जवाब देगा? क्या इनमें से किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई? क्या इतनी ही तेजी से सबमरीन डाटा लीक पर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए थी?
सारे चैनलों ने यह मान लिया है कि आज अगर यह NDTV के साथ हुआ है तो कल यही उनके साथ भी हो सकता है! जबकि NDTV ने कारण बताओ नोटिस के जवाब में साफ कर दिया था कि उसने केवल वही जानकारियां सामने रखीं हैं जो पहले से प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया पर मौजूद हैं।
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