कश्मीर में सत्ता हासिल करने की अब तक की कवायद ने बीजेपी के दोहरे चरित्र को ही उजागर किया है। जब उसने अपने तमाम सैद्धांतिक मूल्यों को दरकिनार कर पीडीपी से गठजोड़ किया था, तभी से गठबंधन के भविष्य को लेकर आशंकाएं गहराने लगी थीं। शपथ ग्रहण समारोह में ही दो अलग-अलग झंडे व संविधान की मौजूदगी संघ परिवार के मूल सिद्धांतों को चुनौती दे रही थी। बीजेपी के लिए भले ही यह उपलब्धि और उत्सव का माहौल रहा हो, पर स्व. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपने का कश्मीर राजनीतिक समझौते का शिकार हो चुका था।
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