Wednesday, 22 July 2015

रिश्वत का अध्यात्मिक रिश्ता !
जब तक धर्म भक्त अपने अपने धर्मस्थलों में अपने अपने इष्ट देव का तुष्टिकरण करते हुए भक्तिस्वरूप चढावा चढाते रहेंगे और वह चढावा नैवेद्य कहलाया जायेगा, न भ्रष्टाचार की मानसिकता समाप्त होगी और न ही रिश्वत का महारोग समाप्त होगा. 
जब परदा कोई नहीं खुदा से, 
तो बन्दों से डरना क्या?

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