महाभारत के पात्र कैसे कैसे ???
कहते हैं कि सम्राट अकबर ने अपने विशेष एजन्ड़ा दीने इलाही (विभिन्न धर्मों की खिछड़ी-समन्वय) के सन्दर्भ में संस्कृत भाषा में दक्ष अपने दरबारी विद्वानों को बुला कर महाभारत ग्रन्थ का फारसी अनुवाद करने का निर्देश दिया. कुछ दिनों के पशचात अकबर ने जब उन विद्वानों से पूछा- आप को दिया गया कार्य कहां तक पूरा हुआ है ?आप लोगों ने इस ग्रन्थ में विशेष क्या पाया ? विद्वानों को कुछ झिझिकते हुये कहना ही पड़ा-जहांपनह वैसे तो सब ठीक है परन्तु इस ग्रन्थ में उल्लेखनीय अधिकांश पात्र हलालज़ादा (वैध संतान ) नहीं है,सब के सब ऐसे ही पैदा हो गए हैं.
उन विद्वानों के यह वचन काफी हद तक सही थे क्योंकि महाभारत के अधिकतर पात्रों के जन्म लेने या तो नियोग प्रथा का खुला हाथ था या स्वच्छंद व्यभिचार व बलात्कार का.
अब माननीय मन्त्री निरंजन साध्वी को जाकर कौन समझाये कि हरामज़ादा होना तो हिन्दुत्व की शुद्ध गौरवशाली परम्परा है !पांचों पांड़व तथा कर्ण तो उसी गौरवशाली परम्परा के शुद्ध प्रतीक हैं .
कहते हैं कि सम्राट अकबर ने अपने विशेष एजन्ड़ा दीने इलाही (विभिन्न धर्मों की खिछड़ी-समन्वय) के सन्दर्भ में संस्कृत भाषा में दक्ष अपने दरबारी विद्वानों को बुला कर महाभारत ग्रन्थ का फारसी अनुवाद करने का निर्देश दिया. कुछ दिनों के पशचात अकबर ने जब उन विद्वानों से पूछा- आप को दिया गया कार्य कहां तक पूरा हुआ है ?आप लोगों ने इस ग्रन्थ में विशेष क्या पाया ? विद्वानों को कुछ झिझिकते हुये कहना ही पड़ा-जहांपनह वैसे तो सब ठीक है परन्तु इस ग्रन्थ में उल्लेखनीय अधिकांश पात्र हलालज़ादा (वैध संतान ) नहीं है,सब के सब ऐसे ही पैदा हो गए हैं.
उन विद्वानों के यह वचन काफी हद तक सही थे क्योंकि महाभारत के अधिकतर पात्रों के जन्म लेने या तो नियोग प्रथा का खुला हाथ था या स्वच्छंद व्यभिचार व बलात्कार का.
अब माननीय मन्त्री निरंजन साध्वी को जाकर कौन समझाये कि हरामज़ादा होना तो हिन्दुत्व की शुद्ध गौरवशाली परम्परा है !पांचों पांड़व तथा कर्ण तो उसी गौरवशाली परम्परा के शुद्ध प्रतीक हैं .
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