Wednesday, 21 February 2018

तुम तो गधे के सिर से सींग की तरह गायब हो गये नीरव ।यहाँ गूगल कर करके परेशान हैं ,तुम्हारा पत्र मिल गया है,मेल भी पहुंच गया है,पर तुम कहां छुपे हो छलिया ? यहां तुम्हारे चचा ताऊ नानी नाना सब परेशान हैं ।तुम्हारे सारे ब्रांड एम्बेसडरों का रो रोकर बुरा हाल है,सारे बैंक के ऊपर नीचे के  लोगों का धंधा बंद है ,यहां तक कि एल ओ यू साइन करने वाले, सिफ़ारिश करने वाले तुम्हें याद कर रहे हैं।हीरे-जवाहरात के बिना उनकी बहन बेटियों और बीबियों के गले सूने-सूने हैं ।सच तुम्हें कोई कुछ नहीं कहेगा,तुम जैसे न जाने कितने 2 जी वाले खुल्ले घूम रहे हैं,तुम्हारा कोई क्या उखाड़ लेगा।तुम्हैं तो पता ही है एक डेढ़ लाख करोड के कर्जवाले भाई लोग तक देश में मजे कर रहे है तो तुम क्या चीज हो ।
व्यर्थ चिंता न करो तुम जैसे महानुभाव तो देश की आत्मा हो और आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं,न आग जला सकती है। तुम जैसे 7-8 लाख करोड एनपीए वाले भाई लोग के आसरे तो देश की अर्थव्यवस्था सांस ले रही है।तुम पर कार्रवाई कौन करेगा?यदि तुम जैसे लोग के विरूद्ध कार्यवाही हुई तो अर्थव्यवस्था धड़ाम हो जायेगी।आ जाओ, फिर तुम्हारे सरनाम का तो वैसे ही डंका बज रहा है देश- विदेश में।लौट आओ, लौट आओ डियर ! 
            देखो कुछ राज्यों के चुनाव सिर पर हैं ,चंदे की रसीदें छप गई हैं,नीचे ऊपर से जो भी बने मदद करो ! तुम हमारी करो हम तुम्हारा ध्यान रखेंगे।अभी पार्टी के पास 500_600 करोड है ,लेकिन जानते ही हो चुनाव में कितना खर्च होता है ,मीडिया वालों को भी सैट करना होता है। मतदाता को मोबाईल लैपटॉप वगैरह -वगैरह देने होते हैं और रैलियों में भीड़ की भी जरुरत होती हैं।अब तो दिहाड़ी भी बढ गई है ,ससुरे मुंह फाड़ने लगे हैं । बड़ी देर भई नंदलाला तेरी राह तके बृजबाला। आ जा रे नीरव !

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