व्यंग्य यथार्थ के आस पास !
पावन देश भारत विश्वस्तर पर प्रमेह रोग [Diabetes] के संदर्भ में प्रथम पायदान पर क्योंकर पुहंचा ???
जब से विश्व स्वास्थ संगठन [World health organisation] ने पावन भूमि भारत को प्रमेह रोग के संदर्भ में अग्रणी देश घोषित किया है और तथ्यों के आधार पर प्रमाणित किया है कि पूरे विश्व में प्रमेह के सर्व अधिक रोगी भारत देश में ही हैं.प्रमेह रोग पनपने के कारण तो हर देश में होते हैं फिर यह श्रेय भारत देश को ही क्योंकर मिला ?
जिज्ञासा के समाधान की तलाश जारी रही .मित्रों ,आखिर मेरी तलाश का सकारात्मक परिणाम निकला.हुआ यूं कि एक दिन मेरे हाथ किसी ब्राह्मण देवता की लिखी दिव्य पुस्तक "अनुष्टान प्रकाश "हाथ लगी .हम ने झट से प्रमेह रोग का अध्याय खोला और उसका अवलोकन किया .जीवन में पहली बार हमारे ज्ञान चक्षु असीम स्तर पर प्रफुलित हुए और चारों दिशाओं से मुझ पर ज्ञानरूपी वर्षा बरसी .मैं आत्मग्लानी के कारण मन ही मन शर्मिंदा होगया .एक चिकित्सक के नाते विद्यार्थी जीवन से लेकर आज तक प्रमेह रोग के कारणों और चिकित्सा का जोभी ज्ञान मैने मन मस्तिषक में संभालकर रखाथा वह कितना खोखला और बेकार निकला ?विश्व स्वास्थ संगठन [WHO] और पूरा विश्व किसप्रकार अज्ञान का प्रचार प्रसार कर रहा है ?जबतक रोग के मूल कारण का ज्ञान न होगा तो कोई भी चिकित्सक क्या खाक चिकित्सा करेगा ?अब समझ में आया कि यह रोग विश्वस्तर पर महामारी का रूप कैसे धारण कर गया ?पावन देश भारत यूंही विश्व गुरु नहीं रहा है .ज्ञान गंगा तो केवल और केवल इस देश में बहती आयी है .
पावन देश भारत विश्वस्तर पर प्रमेह रोग [Diabetes] के संदर्भ में प्रथम पायदान पर क्योंकर पुहंचा ???
जब से विश्व स्वास्थ संगठन [World health organisation] ने पावन भूमि भारत को प्रमेह रोग के संदर्भ में अग्रणी देश घोषित किया है और तथ्यों के आधार पर प्रमाणित किया है कि पूरे विश्व में प्रमेह के सर्व अधिक रोगी भारत देश में ही हैं.प्रमेह रोग पनपने के कारण तो हर देश में होते हैं फिर यह श्रेय भारत देश को ही क्योंकर मिला ?
जिज्ञासा के समाधान की तलाश जारी रही .मित्रों ,आखिर मेरी तलाश का सकारात्मक परिणाम निकला.हुआ यूं कि एक दिन मेरे हाथ किसी ब्राह्मण देवता की लिखी दिव्य पुस्तक "अनुष्टान प्रकाश "हाथ लगी .हम ने झट से प्रमेह रोग का अध्याय खोला और उसका अवलोकन किया .जीवन में पहली बार हमारे ज्ञान चक्षु असीम स्तर पर प्रफुलित हुए और चारों दिशाओं से मुझ पर ज्ञानरूपी वर्षा बरसी .मैं आत्मग्लानी के कारण मन ही मन शर्मिंदा होगया .एक चिकित्सक के नाते विद्यार्थी जीवन से लेकर आज तक प्रमेह रोग के कारणों और चिकित्सा का जोभी ज्ञान मैने मन मस्तिषक में संभालकर रखाथा वह कितना खोखला और बेकार निकला ?विश्व स्वास्थ संगठन [WHO] और पूरा विश्व किसप्रकार अज्ञान का प्रचार प्रसार कर रहा है ?जबतक रोग के मूल कारण का ज्ञान न होगा तो कोई भी चिकित्सक क्या खाक चिकित्सा करेगा ?अब समझ में आया कि यह रोग विश्वस्तर पर महामारी का रूप कैसे धारण कर गया ?पावन देश भारत यूंही विश्व गुरु नहीं रहा है .ज्ञान गंगा तो केवल और केवल इस देश में बहती आयी है .
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