Monday, 1 September 2014

वाराणसी की तर्ज पर होगा क्योटो का ‘विकास’, पंडों अौर पनवारियों को जापान भेजेगा भारत !

क्योटो/नई दिल्ली। भारत और जापान के बीच हुए समझौते के तहत जहां वाराणसी का विकास जापानी शहर क्योटो की तर्ज पर स्मार्ट सिटी के रूप में किया जाएगा, वहीं क्योटो शहर को वाराणसी की तर्ज पर पुरातन पोंगापंडित व अस्वच्छ शहर में बदला जाएगा।

इसके लिए भारत बनारस के पंडों और पनवारियों को क्योटो भेजने पर सहमत हुआ है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा के दौरान भारतीय राजदूत दीपा वाधवा और क्योटो के मेयर दाइसाका कादोकावा ने शनिवार को इस समझौते पर दस्तखत किए थे। भारतीय अखबारों में केवल वाराणसी के संबंध में ही खबरें छपी थीं, लेकिन जापानी अखबारों में विस्तार से छपा है कि भारत क्योटो को एक ‘भारतीय’ शहर में बदलने के लिए क्या करेगा।

समझौते के तहत भारत अपने विशेष ठेकेदारों और इंजीनियरों को भेजकर क्योटो की कामो नदी के किनारे घटिया घाट बनवाएगा। ये ठेकेदार और इंजीनियर इस बात का ध्यान रखेंगे कि घाट पहली ही बारिश में इतने खराब हो जाएं कि भारतीयता का पूरा एहसास हो। इन घाटों को भारतीय पोंगापंडित लुक देने के लिए भारत पहले साल सौ पंडाें को भेजने पर भी राजी हुआ है। इन पंडों को इस तरह से प्रशिक्षित किया जाएगा कि वे शिंतो और बौद्ध धर्मावलंबियों से भी उसी तरह वसूली कर सकें जैसे वे वाराणसी के घाटों पर हिंदुओं से करते हैं।

इसी तरह वाराणसी के पनवारियों को भी क्योटो भेजा जाएगा, ताकि वहां पान चबाने की आदत विकसित की जा सके। क्योटो के लोगों को पान खाकर सड़कों व घाटों पर थूकने और अन्य कचरा फैलाने में दक्ष करने के लिए भारत से एक दल भी जापान भेजा जाएगा। जरूरत पड़ने पर पान खाकर पीक मारने में ट्रेंड कुछ भारतीयाें को भी वहां भेजा जा सकेगा ताकि वे क्योटो के लोगों को प्रेरित कर सकें।

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